नजरिया आपकी सोच बदल सकता है
नजरिया सबकुछ बदलकर रख देता है | इसी के चलते घरवालो का फिक्र करना आपको रोक-टोक लगने लगता है | जरा सोचें की अगर यह सब बंद हो जाये तो, यकीन मानिये, एक दिन आपको बुरा लगने लगेगा की मुझे कोई पूछने वाला नही है, सुबह से मैंने कुछ खाया की नही ? कहाँ हूँ कहाँ नही किसी को परवाह ही नही है ? तब आपको समझ आएगा की इन सब बातों की क्या कीमत होती है | देखा जाए तो अक्सर लडको के मामले में फिक्र से सम्बंधित यही छोटी-मोटी बातें उनके द्वारा रोक-टोक के तौर पर देखी जाती हैं वहीँ लड़कियों के मामले इसका ठीक उलटा होता है यहाँ कई बार बड़े-बड़े बंधन फिक्र के नाम पर उनपर लाध दिए जातें है जिन्हें वे सहर्ष स्वीकारती है | कई बार उन्हें इल्म भी नही होता की उनका जीवन उनका ही नही रह गया वो तो बस हर किसी की आज्ञापालक और सबको संतुष्ट रखने की कोशिश करने वाली बनकर रह गई है | लेकिन इसमें यह बात भी देखी जानी जरुरी है की माँ-बाप को लड़कियों की ज्यादा फिक्र है अथार्त वे उन्हें ज्यादा प्रेम करते है और उन्हें हर मुसीबत से सुरक्षित रखना चाहते है, हर परिस्थिति में लड़ना सिखाना चाहतें हैं |